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भए प्रगट कृपाला
Bhaye Pragat Kripala
When Bhagawan Vishnu incarnate as Raam from Maharani Kaushaliya then this is the conversation between Vishnu and Kaushliya. Keep in mind this is a poetic narration of “Sant Tulasidas Ji” from “Ramcharit Manas” and not original poem from “Balmiki Ramayan”

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।1।।

लोचन अभिरामा तनु घनश्याम निज आयुध भुज चारी।
भूषन बनमाला नयम बिसाला सोभासिंधु खरारी।।2।।

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता।।3।।

करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता।।4।।

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै।।5।।

उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै।।6।।

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला अति प्रियशीला यह सुख परम अनूपा।।7।।

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरि पद पावहिं ते न परहिं भवकूपा।।8।।

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