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श्रीगुरु-प्रार्थना

Shri Guru Prarthana

भवसागर-तारण-कारण हे । रविनन्दन-बन्धन-खण्डन हे ।।
शरणागत किंकर भीत मने । गुरुदेव दया करो दीनजने ।१।

हृदिकन्दर-तामस-भास्कर हे । तुमि विष्णु प्रजापति शंकर हे ।।
परब्रह्म परात्पर वेद भणे । गुरुदेव दया करो दीन जने ।२।

श्रीगुरु-प्रार्थना
मनवारण-शासन-अंकुश हे । नरत्राण तरे हरि चाक्षुष हे ।।
गुणगान -परायण देवगणे । गुरुदेव दया करो दीनजने ।३।

कुलकुण्डलिनी-घुम-भंजक हे । हृदिग्रंथि- वदारण-कारक हे ।।
मम मानस चंचल रात्रदिने ।गुरुदेव दया करो दीनजने ।४।

रिपुसूदन मंगलनायक हे। सुख शान्ति -वराभय-दायक हे ।।
त्रयताप हरे तव नाम गुणे । गुरुदेव दया करो दीनजने ।५।

अभिमान- प्रभाव-विमर्दक हे ।गतिहीन-जने तुमि रक्षक हे ।।
चित शंकित वंचित भक्तिधने । गुरुदेव दया करो दीनजने ।६।

तव नाम सदा शुभसाधक हे । पतिताधम-मानव-पावक हे ।।
महिमा तव गोचर शुद्ध मने ।गुरुदेव दया करो दीनजने ।७।

जय सद्गुरु ईश्वर-प्रापक हे । भवरोग-विकार-विनाशक हे ।।
मन जेन रहे तव श्रीचरणे । गुरुदेव दया करो दीनजने ।८।

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