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  1. Samskrut Yatra Blog/

Hindi Online Quotations

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Sanskrit Text Hindi Quotes
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  1. नेतृत्व करने के लिए उम्र नही,साहस और क्षमता चाहिए
  2. मिलते रहिये सबसे, किसी ना किसी बहाने से, संबंध बने रहते हैं दो पल साथ बिताने से, कोई फर्क नहीं पड़ता कोई तेज है और कोई धीमा, मायने रखता है, जुड़े रहना!
  3. अच्छे लोगों की संगत में रहो, क्योंकि सुनार का कचरा भी तो बादाम से महंगा होता है!
  4. हृदय से साफ़ और अच्छे लोग बहुत ही सस्ते होते हैं, बस मीठा बोलो और ख़रीद लो। शायद इसीलिए उनकी कीमत नहीं समझते लोग.!
  5. अगर इंसान शिक्षा के पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार, भगवान से पहले माता पिता को पहचान ले तो जिंदगी में कभी कोई कठिनाई नहीं आएगी!
  6. प्रेम शब्दों में नहीं, एहसास में दिखता हैं, प्रेम का कोई शास्त्र नहीं हैं, ना कोई परिभाषा हैं, ना प्रेम का कोई सिद्धांत हैं, प्रेम तो एक एहसास हैं, जो इसे महसूस कर सकता हैं, वही प्रेम को देख सकता हैं.!
  7. वक्त, ख्वाहिशें और सपने हाथ में बंधी घङी की तरह होते हैं. जिसे हम उतार कर रख भी दें, तो भी उनका चलना रुकता नहीं!
  8. ऐसे कर्म ना करो जिससे आपको दूसरों की नजरों से गिरना पड़े। क्योंकि,.! पहाड़ से गिरकर तो फिर उठा जा सकता है, मगर नजरों से गिरकर उठना आसान नहीं. ।
  9. “मदद” एक ऐसी घटना है. जिसे करो तो लोग भूल जाते हैं. यदि ना करो तो याद रखते हैं.इस लिये मदद के लिए दबाव न बनाए!
  10. अपनी बातों को सदैव ध्यानपूर्वक कहें., क्योंकि हम तो कहकर भूल जाते हैं,लेकिन लोग उसे याद रखते है !
  11. अहंकार और अकड़ दोनों ही जीवन के सबसे बड़े दुश्मन है.! क्योंकि ये न आपको किसी का होने देते है और न कोई आपका होना चाहता है.
  12. कटुता वहां उत्पन्न, होती है, जहाँ हम स्वार्थ के लिए जुड़ते है । लेकिन प्यार वहां पनपता है, जहां हम निस्वार्थ भाव से जुड़ते है ।
  13. जब भी विनाश होने का प्रारंभ होता है शुरुआत वाणी के संयम खोने से होती है! अपनी वाणी में संयम रखे।
  14. जिंदगी के रथ में. लगाम बहुत है अपनों के अपनों पर इलज़ाम बहुत है, ये शिकायतों का दौर देखता हूँ तो थम सा जाता हूँ। लगता हैउम्र कम है और इम्तिहान बहुत है.
  15. जीवन में निरंतर नेक कार्य करते रहे, कोई आपका सम्मान करे या न करे, आपकी अंतरात्मा सदा आपको सम्मानित करती रहेगी।
  16. दिल के अच्छे होने से बेहतर है, आप जुबान के अच्छे हों, लोगों का वास्ता पहले जुबान से पड़ता है, दिल तक तो कुछ खास लोग ही पहुंच पाते हैं।
  17. दुआ और विश्वास दोनों नज़र तो नहीं आते लेकिन नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं।
  18. मनुष्य का अमूल्य धन, उसका “व्यवहार” होता है। इस “धन” से बढ़कर, संसार में कोई और धन नहीं है। “पैसा” आता है, चला जाता है। पैसा आपके हाथों में नहीं रहता है, पर “व्यवहार” आपके हाथों में ही रहता है ।
  19. शिकायत न करें जिंदगी से धन्यवाद कीजिए क्योंकि आपके पास जितना है न जाने कितनों के पास उतना भी नहीं है!
  20. सज्जनता ऐसी विद्या है जो बातों से कम बल्कि. व्यवहार से अधिक परखी जाती हैं !
  21. सुबह की नींद इंसान के इरादों को कमजोर करती है, मंजिलों को हासिल करने वाले कभी देर तक सोया नहीं करते!
  22. हकीकत को तलाश करना पडता है.! “अफवाहें” तो घर बैठे आप तक पहुच जाती है!
  23. हमको कितने लोग पहचानते है ? उसका महत्व नहीं है, मगर क्यों पहचानते है ? इसका महत्व है.
  24. “बहुत आसान होता है, उदाहरण पेश करना बहुत मुश्किल होता है, स्वयं कोई उदाहरण बनना "
  25. एक ताजगी, एक एहसास… एक ख़ूबसूरती, एक आस. एक आस्था, एक विश्वास…… यही है एक अच्छे दिन की शुरुआत
  26. जीवन मे सुख-दुःख आए तो अपने मन को प्रभावित मत कीजिए, ये घर के मेम्बर नहीं मेहमान है, आज नहीं तो कल विदा हो ही जाएंगे…!
  27. जैसे उजाला और अंधेरा मिलकर ही दिन पूरा होता है, उसी तरह सुख और दुख मिलकर ही जीवन पूरा होता है !
  28. परिवार संगीत की तरह है जिसमें कुछ स्वर ऊँचे हैं और कुछ नीचे. लेकिन जब सब मिलते हैं तब एक खूबसूरत संगीत बनता है और एक खुशहाल परिवार बनता है!
  29. कठिन परिश्रम से सफलता मिलती है, आलस्य से पराजय, अहंकार से कठिनाइयाँ। जिंदगी में तोता नहीं बाज़ बनिये क्योंकि तोता बोलता बहुत है लेकिन उड़ता बहुत कम है, जबकि बाज़ शांत रहता है लेकिन आसमान छूने की ताकत रखता है।
  30. तपस्या की देवी, माँ ब्रह्मचारिणी, आपको आध्यात्मिक विकास और धार्मिकता का जीवन प्रदान करें। जय ब्रह्मचारिणी माता।
  31. सारा जहां है जिसकी शरण में, नमन है उस मां के चरण में, हम हैं उस मां के चरणों की धूल, आओ मिलकर मां ब्रह्मचारिणी को चढ़ाएं श्रद्धा के फूल।
  32. समझ और समझौता बहुत कम लोगो को समझ आता है। जिसे ये दोनों समझ आते हैं, उसे फिर कुछ समझने को बाकी नही रहता।
  33. “कोशिश” सफल हो या ना हो सफलता का कारण “कोशिश” ही होती है!
  34. अगर आपके पास मन की शान्ति है तो! समझ लेना आपसे अधिक भाग्यशाली कोई नही है!
  35. अच्छी भूमिका, अच्छे लक्ष्य, अच्छे विचारों वालें लोगो को हमेशा याद किया जाता है मन मे भी, शब्दों मे भी और. जीवन मे भी.!
  36. अपने जीवन मे चार बातों मे कभी भी शर्म और संकोच नही महसूस करनी चाहिए पुराने कपड़े, गरीब मित्र, बुजुर्ग माता पिता और सरल जीवन शैली!
  37. ऊचाई पर वो ही पहुंचते है जो प्रतिशोध के बजाए परिवर्तन की सोच रखते है!
  38. जिंदगी मे अगर कोई सबसे सही रास्ता दिखाने वाला दोस्त है तो वो है “अनुभव” है!
  39. त्याग वही करें जहाँ उसकी कद्र हो, दिन मे दिया जलाने से अंधकार नही अपना वजूद कम होता है!
  40. नियत और कर्म साफ रखो फिर देखो समय तुम्हारे दरवाजे पर पहरेदार के रूप मे खड़ा होगा !
  41. यदि तन औऱ मन मे संतुलन है तो जीवन मे सफलता अवश्य मिलेगी हारता वहीं है जो संतुलन खो देता है!
  42. उपकार का आभार मानना शिष्टाचार है.! किन्तु उपकार को जीवन पर्यन्त याद रखना संस्कार है.! .
  43. जीवन में धैर्य अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बात हमेशा याद रखिए कि बुंद बुंद पानी से ही घड़ा भरता हैं।
  44. ‘दुआ’ और ‘विश्वास’ दोनों नज़र तो नहीं आते लेकिन नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं।
  45. ‘संघर्ष’ के ‘अंधेरे’ से अपने ‘हौसले’ कमजोर न होने देना! ‘वक्त’ का ‘ग्रहण’ तो ‘सूरज’ और ‘चाँद’ भी झेलते हैं!
  46. “अनुभव” एक ऐसी चीज है जिसको कोई खरीद नहीं सकता, ये सिर्फ “समय” के साथ ही मिलता है!
  47. “अनुभव” का निर्माण नहीं हो सकता इसे समय देकर ही पाया जा सकता है!
  48. “चुनोतियाँ” हमारे जीवन को अप्रत्याशित “सफलता” दिलाती पर. .औऱ". “ठोकरें " जीवन मे बहुमूल्य अनुभव कराती है! "
  49. “जीभ"और “शब्द”, ये दो अनमोल तोहफ़े सब को मिले हैं किसी ने इससे “सुकून"कमाया, और किसी ने “सब” कुछ गँवाया !
  50. “झाड़ू” में जब तक “बंधन” होता है तब तक वो “कचरा” साफ करता है,बंधन खुल जाने पर “झाड़ू” खुद “कचरा” बंद जाता है इसलिए जीवन में हमेशा अपने और “अपनों” से “बंधे” रहिए क्योंकि “एकता” में ही “शक्ति” होती है!
  51. “न संघर्ष खत्म होता है और ना ही शिकायतें, धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है वो उम्र है”।।
  52. “बुद्धिमान” कौन है: जो सबसे कुछ “सीख” लेता है, “शक्तिशाली” कौन है: जिसका अपनी “इच्छाओं” पर नियंत्रण है, “सम्मानित” कौन है: जो दूसरों का “सम्मान” करता है, और “धनवान” कौन है: जो अपने पास है, उससे ही “प्रसन्न” है!
  53. “बुद्धिमान” वो नहीं होता, जो केवल “बोलना जानता” है! असली “बुद्धिमान” तो वो होता है, जिसे यह पता होता है कि, “चुप” कहां पर रहना है ।
  54. “वाणी” में अजीब “शक्ति होती हैं, “कड़वा” बोलने वाले, का “शहद” भी नहीं बिकता है, और “मीठा” बोलने वाले की “मिर्चि” भी बिक जाती है ।
  55. “व्यक्तित्व” की भी अपनी वाणी होती है जो “कलम”‘ या “जीभ” के इस्तेमाल के बिना भी लोगों के “अंर्तमन” को छू जाती है।
  56. “स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, सन्तुष्टि सबसे बड़ी सम्पत्ति, मुस्कुराहट सबसे बड़ी ताकत, और वफादारी सबसे उत्तम रिश्ता! "
  57. अगर रास्ता खूबसूरत है तो,पता कीजिये किस मंजिल की तरफ जाता है। लेकिन अगर मंजिल खूबसूरत हो तो, कभी रास्ते की परवाह मत कीजिये।
  58. अगर हम एक दूसरे से तुलना करना छोड़ दें तो निश्चित रूप से ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है.!
  59. अच्छे कार्य के लिए शुभ मुहूर्त नही देखा जाता बल्कि अच्छे कार्य का शुभारंभ ही शुभ घड़ी बन जाता है !
  60. अत्यधिक उम्मीदों से भरी टोकरी थोड़ी खाली कर दीजिए ! परेशानियाँ खुद नाराज होकर चली जायेंगी!
  61. अपनी कमाई हुई दौलत का फायदा हम दूसरों को भी दे सकते है, मगर हमें अपने कर्मो का फल तो केवल खुद को ही भुगतान पड़ता है। “सदैव सत्कर्म करते रहिए! “
  62. आपकी सोच ही आपको बड़ा बनाती है.! यदि हम गुलाब की तरह खिलना चाहते है तो काँटों के साथ तालमेल बनाके रखने की कला तो सीखनी ही होगी
  63. आपके शब्द ही आपकी मास्टर Key हैं! ये दिलों के दरवाजे खोल भी सकते हैं! और लोगों के मुँह पर ताले लगा भी सकते हैं!
  64. इंसान को कोई चीज इतना नहीं बदल सकती जितना उसके दिल पर गुजरी हुई तकलीफें उसे बदल देती है!
  65. ईर्ष्या, अज्ञानता, स्वार्थ और अभिमान, मनुष्य को अंधा-खोखला और अकेला बना देता है, फिर वह न खुद का हो सकता है, न किसी और का!
  66. कड़वी गोलियाँ चबाई नहीं जाती, निगली जाती हैं. उसी प्रकार जीवन में भी धोखा, अपमान, व असफलता जैसी कड़वी बातों को सीधे गटक जायें. उन्हें चबाते रहेंगे यानी याद करते रहेंगे, तो जीवन कड़वा ही होगा.
  67. कद्र होती है इन्सान की, ज़रुरत पड़ने पर ही, बिना ज़रुरत तो हीरे भी, तिजोरी में रखे रहते हैं!
  68. कर्म बहुत ध्यान से कीजिए क्योंकि ना किसी की दुआ खाली जाती है और ना ही किसी की बद्दुआ.।
  69. कर्मो का वजन उतना ही इकट्ठा करो जितना अंत में आसानी से उठाकर चल सके !
  70. कुछ उलझनों को झुककर भी सुलझाना चाहिए! सभी लोग आपके कद के बराबर नहीं होते!
  71. कुछ रिश्तों का नाम और कीमत नहीं होती है बस उनकी “अहमियत” होती है।
  72. कैची पेड़ नहीं काट सकती, कुल्हाड़ी बाल नहीं काट सकती, हर इंसान की खूबी अलग हैं तुलना किसी की किसी से नहीं की जा सकती।
  73. कोशिश सफल हो या ना हो, सफलता का कारण कोशिश होती है
  74. खुद को सुधारे बिना, दुनिया को सुधारने की कोशिश करना ठीक वैसा ही है जैसे कंकड़ पत्थर से बचने के लिए पूरी पृथ्वी पर चमड़ा बिछाना, इससे अच्छा खुद जूते पहन लो!
  75. खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो। सहारे कितने भी भरोसेमंद हों, एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं.।
  76. गन्ने में जहाँ गाँठ होती है वहाँ रस नही होती.! और जहाँ रस होता है वहा गांठ नही होती! बस जीवन भी कुछ ऐसा ही है.!
  77. गाडी मे अगर ब्रेक न हो तो दुर्घटना निश्चित है! जीवन में अगर संस्कार और मर्यादा न हो तो पतन निश्चित है.!
  78. जन्म के रिश्ते ईश्वर का प्रसाद जैसे हैं, लेकिन खुद के बनाये रिश्ते आपकी पूँजी हैं, सहेज कर रखिये.!
  79. जब धन कमाते हैं, तो घर में चीजें आती हैं, लेकिन जब किसी की दुआएं कमाते हैं, तो धन के साथ, खुशी, सेहत और प्यार भी आता है
  80. जरुरी नहीं सब लोग आपको समझ पाएं क्योंकि तराजू सिर्फ वज़न बताती है क्वालिटी नहीं।
  81. जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता है वही से हमारी इंसानियत आरम्भ होती है ! लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए और बुज़ुर्ग़ो का कहना है कि आदमी का जमीर होना चाहिए.।।
  82. ज़िद, गुस्सा, गलतियां और लालच. खर्राटों की तरह होते हैं, दूसरा करे तो चुभता है, पर ख़ुद करें तो अहसास तक नहीं होता।
  83. ज़िद, गुस्सा,गलतियां, लालच और अपमान खर्राटों की तरह होते हैं, जो दूसरे करे तो चुभते हैं. पर ख़ुद करें तो अहसास तक नहीं होता !
  84. ज़िन्दगी के “सफर” में ठोकरें नहीं “खाओगे” साहब, तो कैसे जानोगे कि आप पत्थर के बने हो या शीशे के!
  85. जिस पर गुजरती है, सिर्फ वही जानता है, बहुत आसान होता है कह देना, कि जाने दो जो हुआ सो हुआ!
  86. जीवन की सच्ची कमाई तो अपनों का साथ है बाकी धन-दौलत तो बस एक ज़रुरत मात्र है!
  87. जीवन छोटा है, खुलकर जियें, प्रेम दुर्लभ है, करते रहें, क्रोध हानिकर है, दबा कर रखें, भय डरावना है, सामना करें, स्मृतियाँ सुखद हैं, संजोकर रखें।
  88. जीवन में अगर जरूरत पड़े तो अपनी जरूरतें बदल लेना लेकिन. कभी भी जरूरत के लिए अपने रिश्ते मत बदलना!
  89. जीवन में मीठा झूठ बोलने से अच्छा है कङवा सच बोला जाए इससे आपको सच्चे शत्रु अवश्य मिलेंगे लेकिन झूठे मित्र तो नहीं मिलेंगे ।
  90. जीवन में यदि खुश रहना है तो अधिक ध्यान उस चीज पर दें जो आपके पास है। उस पर नहीं जो दूसरों के पास है।
  91. ज्ञान तय करता है क्या कहना चाहिए, कौशल तय करता है कैसे कहें, रवैया तय करता है कितना कहना चाहिए, और बुद्धिमत्ता तय करती है कि कहें या ना कहें !
  92. टूटा हुआ भरोसा, उस बचपन की तरह है जो कभी, लौट कर नहीं आता.।
  93. डाली से टूटा फूल फिर से लग नहीं सकता है मगर डाली मजबूत हो तो उस पर नया फूल खिल सकता है उसी तरह ज़िन्दगी में खोये पल को ला नहीं सकते मगर हौसलें व विश्वास से आने वाले हर पल को खुबसूरत बना सकते है!
  94. त्याग वहीं करें जहाँ उसकी कद्र हो, दोपहर में दिया जलाने से अंधकार नहीं बल्कि दिये का वजूद ख़त्म होता है !
  95. दूसरे के पास क्या है उस पर ध्यान मत दो, आपके पास क्या है उस पर ध्यान दो. और उसी में सन्तुष्ट रहो।
  96. धैर्य होना अत्यंत आवश्यक है. माली यदि किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से भी सीचें तब भी फल तो मौसम आने पर ही लगेगा
  97. प्रार्थना ऐसे करो जैसे सब कुछ भगवान पर निर्भर करता है, और प्रयास ऐसे करो जैसे सब कुछ आप पर निर्भर करता है।
  98. प्रेम और विश्वास कभी नहीं खोना चाहिए, प्रेम हर किसी से नहीं होता! विश्वास हर किसी पर नहीं किया जाता!
  99. भरोसा जीता जाता है ये मांगा नहीं जाता है ये वो दौलत है जिसे कमाया जाता है खरीदा नहीं जाता!
  100. मनुष्य के पास सबसे बड़ी पूंजी ‘अच्छे विचार’ हैं। क्योंकि धन और बल किसी को भी गलत राह पर ले जा सकते हैं। किन्तु ‘अच्छे विचार’ सदैव अच्छे कार्यो के लिए ही प्रेरित करेंगे।
  101. मिट्टी का गीलापन जिस प्रकार “पेड़” की “जड़” को पकड़ के रखता है। ठीक उसी प्रकार “शब्दों” का मीठापन मनुष्य के “रिश्तों” को पकड़ के रखता है ।
  102. मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता.!
  103. मेहनत करे तो धन बने, सब्र करे तो काम, मीठा बोले तो पहचान बने, और इज्जत करे तो नाम !
  104. मेहनत सीढ़ियों की तरह होती हैं और भाग्य लिफ्ट की तरह, किसी समय लिफ्ट तो बंद भी हो सकती हैं पर सीढ़ियाँ हमेशा. ऊंचाई की तरफ ले जाती हैं।
  105. मोती अगर कभी कचरे में गिर भी जाये तो भी उसकी कीमत वही ही रहती हैं.! एक अच्छे व्यक्तित्व यही पहचान है।
  106. यदि हम काँच के टुकड़े बनकर रहेंगे, तो कोई छुएगा भी नहीं. लेकिन. जिस दिन हम दर्पण बन जाएँगे, तो बिना देखे कोई रहेगा भी नहीं.!
  107. रिश्तों की कदर पैसों की तरह ही करनी चाहिए! दोनों को कमाना मुश्किल है पर गँवाना आसान!
  108. रिश्तों की फसलें नहीं होती जो पके और काट ली जाए ! रिश्तों के “वट वृक्ष” होते है जो वर्षों की मेहनत के बाद “गहरी छाया” और “गहरी जड़ों” के समान मजबूत बनते है!
  109. लिखें वही, जिस के नीचे अपने हस्ताक्षर कर सकें, सोचें वही, जो बेहिचक बोल सकें और बोलें वही, जिस का जवाब सुन सकें।
  110. लोगों का आदर केवल उनकी शक्ल या सम्पत्ति के कारण नहीं करना चाहिये बल्कि उनकी उदारता के कारण करना चाहिये । हम सुरज की कद्र उसकी उँचाई के कारण नहीं करते बल्कि उसकी उपयोगिता के कारण करते हैं ।
  111. वक्त बहुत मंहगा है अगर कोई निस्वार्थ भाव से दे रहा है.! तो आप बहुत ही खुशकिस्मत है वरना समय तो खुद के लिए नहीं रहता!
  112. वाणी मनुष्य के ह्रदय का दर्पण है. और यही अपने को पराया और पराए को अपना बना देती है।
  113. विश्वास एक ऐसा छोटा सा शब्द है जिसे पढ़ने में सेकेंड लगता है, सोचने में मिनट लगता है, समझने में दिन लगता है, और साबित करने में पूरी जिंदगी लग जाती है
  114. विश्वास एक स्टिकर जैसा होता है, जो दूसरी बार पहले जैसा नहीं चिपकता.
  115. शब्दों का वजन तो बोलने वाले के भाव पर आधारित है। एक शब्द मन को दुःखी कर जाता है, और दूसरा शब्द मन को खुश कर जाता है, क्योंकि हमारी वाणी ही हमारे व्यक्तित्व और आचरण का परिचय कराती है।
  116. शीशा और रिश्ता दोनो ही बड़े नाजुक होते हैं । दोनो में सिर्फ एक फर्क होता है, शीशा गलती से टूट जाता है, और रिश्ता गलतफहमी से ।
  117. सफलता की ऊँचाई पर संतुलन और धीरज ज़रूरी है आकाश कितना ही ऊँचा हो बैठने की जगह किसी को नहीं देता!
  118. संबंधों के ताले को, क्रोध के हथौडे से नहीं, बल्कि प्रेम की चाबी से खोलें. क्योंकि चाबी से खुला ताला बार-बार काम आता है, और हथौडे से खुला ताला केवल एक बार.
  119. समय, विश्वास और सम्मान यह ऐसे पक्षी है जो उड़ जाये तो वापस नही आते!
  120. सराहना दिल से, हस्तक्षेप दिमाग से और समीक्षा विवेक से करने में ही समझदारी है; अन्यथा मौन ही उत्तम है।
  121. सही फैसला लेना काबिलियत नहीं है! . फैसला लेकर उसको सही साबित करना काबिलियत है!
  122. सिर्फ संतोष ढूँढिये, आवश्यकताएं तो कभी समाप्त होंगी नहीं.! गलत सोच और गलत अंदाजा इंसान को हर रिश्ते से गुमराह कर देता है!
  123. सूर्योदय और सूर्यास्त हमें बताते हैं कि जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है | इसलिए हमेशा खुश रहें एवं. जीवन की यात्रा का भरपूर आनंद लें।
  124. सेहत, समय, दोस्त तथा संबंधों पर कोई मूल्य अंकित नहीं होता है. पर जब इन्हें खो देते हैं तब इनकी कीमत समझ में आती है.!
  125. सोने में जड़कर जब हीरा.आभूषण बन जाता है.! तो वह आभूषण फिर सोने का नहीं, “हीरे” का कहलाता है.! " उसी प्रकार काया इंसान की सोना है और कर्म हीरा कहलाता है! “कर्मों” के निखार से ही मूल्य इंसान का बढ़ जाता है.!
  126. हम सोचते हैं जितनी ज्यादा “सुविधाएं” हमारे पास होगी उतने हम “खुश” रहेंगे. किंतु ये कदापि “सत्य” नहीं है खुशी सुविधाओं से नहीं “संतोष” से है.!
  127. हमारी उपलब्धियों में दूसरों का भी योगदान होता है क्योंकि समन्दर में भले ही पानी अपार है पर सच तो यही है कि वो नदियों का उधार होता है !
  128. हमें समस्या का डटकर सामना करना आना चाहिए क्योंकि समस्या मुकाबला करने से दूर होती है मुकरने से नहीं!
  129. हमेशा एक पेड़ की तरह रहो, अपना सिर ऊंचा रखो, अपने पैर नीचे जमीन पर रखो और हमेशा दूसरों को अपनी छाया देने के लिए तैयार रहो।।
  130. हार जाना गलत नहीं है, लेकिन हार मान लेना गलत है. क्योंकि पूर्ण-विराम केवल अन्त ही नहीं, एक नये “वाक्य"का शुरुआत भी होता है!
  131. रिश्तों से अपेक्षा रखना, स्वार्थ नहीं हैं मगर अपेक्षा के लिए रिश्ते रखना,स्वार्थ है!
  132. “अहंकार” ‘मन’ को खा जाता है, “प्रायश्चित” ‘पाप’ को खा जाता है, “लालच” ‘धर्म’ को खा जाता है, और “चिंता” ‘आयु’ को खा जाती है।
  133. “अहम्” से ऊँचा कोई “आसमान” नहीं। किसी की “बुराई” करने जैसा “आसान” कोई काम नहीं। “स्वयं” को पहचानने से अधिक कोई “ज्ञान” नहीं। और “क्षमा” करने से बड़ा कोई “दान” नहीं।
  134. “उम्मीद” कभी न छोड़िये यही वह पथ हैं, जो जीवन भर आपको गतिशील बनाकर रखता हैं.!
  135. “व्यक्ति की सोच ही उसे बड़ा बनाती है, यदि हम गुलाब की तरह खिलना चाहते हैं, तो काँटों के साथ तालमेल की कला सीखनी ही होगी…”
  136. “सूर्य” और “चंद्रमा” के बीच कोई तुलना नहीं हैं, जब जिसका वक़्त आता है तभी वो चमकता है !
  137. अपनी लड़ाई. अकेले ही लड़नी पड़ती है सैलाब तो उमड़ता है. जीत जाने के बाद.!
  138. आदमी के गुण और गुनाह दोनों की कीमत होती है, अंतर सिर्फ इतना है कि गुण की कीमत मिलती है और गुनाह की कीमत चुकानी पड़ती है.!
  139. ईश्वर के दर्शन और अपनो का “मार्गदर्शन”, दोनो ही जीवन को “प्रकाशित” कर देते है!
  140. एक मिनट में जिंदगी नहीं बदलती पर कभी - कभी एक मिनट सोचकर किया गया फैसला जिंदगी बदल देता है!
  141. कलम, कसम, और कदम हमेशा सोच समझकर ही उठाना चाहिए।
  142. कौन कहता है कि बड़ी गाड़ियों में ही सफ़र अच्छा होता है। सच्चे रिश्ते और अच्छे मित्र साथ हो तो जिंदगी पैदल भी मजेदार होती है.।
  143. गुस्सा और मतभेद बारिश की तरह होना चाहिए , जो बरसे और खत्म हो जाए. अपनत्व हवा की तरह होना चाहिए , जो खामोश हो किन्तु सदैव आसपास ही रहे! .
  144. जीवन एक यात्रा है.। इसे जबरदस्ती तय न करें. बल्कि इसे “जबरदस्त” तरीके से तय करें.!
  145. जो जिन्दगी से लड़ा है वही जीवन में आगे बढ़ा है किस्मत को जिसने कोसा है वह आज वही पर खड़ा है!
  146. ज्ञान तीन तरह से मिल सकता है मनन से, जो सब से श्रेष्ठ होता है. अनुसरण से, जो सरल होता है. अनुभव से, जो सब से कड़वा होता है.
  147. दूध में मिला जल भी दूध बन जाता है. ऐसे ही अच्छे लोगों की संगत में हम भी अच्छे हो जाते हैं!
  148. भाग्य बदल जाता है जब इरादे मजबूत हो! वरना जीवन बीत जाता है किस्मत को दोष देने में !
  149. मनुष्य अगर स्वाद छोड़ दे तो, शरीर को फायदा, विवाद छोड़ दें, संबंधों को फायदा, और व्यर्थ की चिंता छोड़ दें तो जीवन को फायदा.!
  150. मनुष्य का अमूल्य धन उसका व्यवहार है., इस धन से बड़कर संसार में कोई और धन नहीं.। पैसा आपके हाथ में नहीं है पर व्यवहार आपके हाथ में हैं।
  151. मर्यादा रखना बहुत जरूरी है , पैसे की कमी हो तो खर्च करनें में और ज्ञान की कमी हो तो चर्चा करने में । स्वस्थ रहिए : प्रसन्न रहिए ।
  152. लक्ष्य के आधे रास्ते पर जाकर कभी वापस न लौटें… क्योंकि वापस जाने पर भी आधा रास्ता पार करना पड़ता है!
  153. वाणी के बजाय कार्य से दिए गए उदाहरण कहीं ज्यादा प्रभावी होते हैं। कोरा उपदेश भी तब तक कोई काम नहीं आता जब तक उसे चरितार्थ (स्वयं) न किया जाए।
  154. शब्दों की ताकत को कम मत समझिये छोटा सा “हाँ” और छोटा “ना” पूरी जिन्दगी बदल देता है जिसका मन सच्चा होता है उसका हर काम अच्छा होता है!
  155. साझेदारी करो तो किसी के दर्द की करो क्योंकि खुशियों के तो दावेदार बहुत हैं !
  156. सादगी से बढ़कर कोई श्रंगार नहीं होता और विनम्रता से बढ़कर कोई व्यवहार नहीं होता!
  157. साहसी वह नहीं जो बड़ी-बड़ी बातें करता है साहसी तो वह होता है जो संघर्षों का सामना करता हैं।
  158. स्नान से तन की शुद्धि, ध्यान से मन की शुद्धि और दान से धन की शुद्धि होती है। जो दूसरों को हानि पहुंचा कर अपना हित चाहता है वह मूर्ख, अपने लिए दुःख के बीज बोता है।
  159. कहते है कि एक गलतफहमी अच्छे से अच्छे रिश्ते को तोड़ देती है। विचारणीय बात यह है कि वह रिश्ता अच्छा कैसे हुआ, जो सिर्फ एक गलतफहमी से ही टूट जाए.।
  160. माता पिता भले ही अनपढ़ क्यों न हो, लेकिन शिक्षा और संस्कार देने कि जो क्षमता उनमें है वो दुनिया के किसी स्कूल में नहीं है.!
  161. जैसे हर रास्ते पर कुछ न कुछ परेशानी होती है वैसे ही हर परेशानी का कोई न कोई रास्ता होता है!
  162. जो झुकते हैं, ज़िन्दगी में वो बुज़दिल नही होते, यह हुनर होता हैं, उनका हर रिश्ता निभाने का!
  163. “कुछ बातें समझने पर नहीं बल्कि खुद पर बीत जाने के बाद ही समझ में आती है.! "
  164. सत्य बोलने के लिये कोई तैयारी नहीं करनी पड़ती क्योंकि सत्य हमेंशा तैय्यार रहता है!
  165. पूण्य किसी को दगा नही देता, और पाप किसी का सगा नही होता, जो कर्म को समझते है, उन्हें धर्म को समझने की जरूरत ही नही। क्योकि कर्मो के उतराधिकारी केवल हम स्वयं ही होते है।
  166. तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ तीर्थ हमारा हृदय है, यह जितना निर्मल और निष्पाप होगा, सारे तीर्थ उतने ही हमारे पास होंगे.!
  167. “क्या “संभव” है और क्या “असंभव” है इन दोनों का “फर्क” सिर्फ आपकी “सोच” और “मेहनत” पर “निर्भर”” करता है।”
  168. “सफलता” न तो जादुई है, न ही रहस्यमय है, यह अच्छी “आदतों” , “नीयतों"और “मेहनत” का ‘स्वाभाविक परिणाम है।”
  169. अगर कर्म पर विश्वास और भगवान पर श्रद्धा रखोगे, तो समय कितना भी बुरा क्यों न हो, रास्ता अवश्य मिल जाएगा!
  170. किताबों का ज्ञान और अहमियत तो अपनी जगह है. लेकिन सबक वही याद रहता है, जो “वक़्त” और “लोग” सिखाते है!
  171. ज्ञान तीन तरह से मिल सकता है गुरु से, जो सर्वोत्तम होता है माता पिता से, जो सरल होता अनुभव से, जो सब से कड़वा होता है.!
  172. देने के लिये “दान” लेने के लिये “ज्ञान” और त्यागने के लिए “अभिमान” सर्वश्रेष्ठ है।
  173. ना थके कभी पैर,ना कभी हिम्मत हारी है.! हौंसला है ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाने का इसलिए अभी भी सफर जारी है!
  174. नेत्र हमे केवल दृष्टि प्रदान करते हैं परंतु हम कब किसमे क्या देखते हैं ये हमारी भावनाओं पर निर्भर करता है!
  175. भाषाओं का अनुवाद हो सकता है, भावनाओं का नहीं, इन्हें समझना पड़ता है!
  176. यदि हम अभी भी उस व्यक्ति को ढूंढ रहे हैं जो हमारी जिंदगी बदल सकता है तो हमें एक बार आईने में देखना चाहिए क्योंकि - खुद से ज्यादा हमे और कोई नही बदल सकता.!
  177. एक नदी एक पहाड़ को काट देती है. लेकिन_ अपनी ताक़त से नहीं. बल्कि अपने द्वारा किए गए लगातार प्रयासों से.
  178. भरोसे का पात्र होना, प्रेम का पात्र होने से अधिक प्रशंसनीय है !
  179. यूँ ही नहीं आती खूबसूरती दोस्ती और रिश्तों में, अलग-अलग विचारों को “एक” होना पड़ता है
  180. बहुत मुश्किल है, सभी को खुश रखना चिराग जलते ही अंधेरे रूठ जाते हैं.!
  181. परमात्मा, सभी को एक ही मिट्टी से बनाता है बस फ़र्क इतना है कि कोई बाहर से खूबसूरत होता है तो कोई अंदर से ! गुरुनानक जयन्ती की लख- लख बधाइयां।
  182. भगवान की “प्रार्थना करो केवल” इसलिए नहीं की कुछ जरूरत है, अपितु इसलिये की हम शुक्रगुजार है आपके, कि जो आज हमारे पास है, वो बहुत कम लोगो को नसीब होता है ।
  183. अतीत में मिले किसी कड़वे अनुभव को. शेष जीवन के लिए गाइडलाइन मत बनाइए.! पतझड़ के बाद प्रकृति भी तो खुली बांहों से बसंत का स्वागत करती ही है.!
  184. चुनौतियाँ ही जीवन को रोचक बनाती है, और उन पर जीत हासिल करना ही जीवन को सार्थक बनाता है!
  185. अहंकार उसी को होता है जिसे बिना संघर्ष सब प्राप्त होता है। जिसने अपनी मेहनत से हासिल किया है वही दुसरों की मेहनत की कद्र कर सकता है।
  186. आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता बस शर्त ये हैं की आपका लक्ष्य पर ध्यान हटना नहीं चाहिए!
  187. नेकियाँ करते रहिए, क्योंकि ये हमारी जीवन की सुरक्षा निधि है, हमारे जीवन में जब भी कभी तूफान आएगा, तो यही नेकियाँ, हमारे लिए कश्ती का काम करेंगी।
  188. कभी कभी ठोकरें भी अच्छी होती हैं! एक तो रास्ते की रुकावटों का पता चलता है! और दूसरा संभालने वाले हाथ किसके हैं! ये भी पता चलता है!
  189. ये दबदबा, ये हुकूमत, ये नशा, ये दौलतें. सब वक्त के साथ जगह बदलते रहते हैं परन्तु मुस्कुराहट, अपनापन, मधुर वाणी और शांत स्वभाव ये सब अपने हैं,वक्त कैसा भी हो ये जगह नही बदलते।
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Dr. Hari Thapliyaal

Dr. Hari Thapliyal is a seasoned professional and prolific blogger with a multifaceted background that spans the realms of Data Science, Project Management, and Advait-Vedanta Philosophy. Holding a Doctorate in AI/NLP from SSBM (Geneva, Switzerland), Hari has earned Master's degrees in Computers, Business Management, Data Science, and Economics, reflecting his dedication to continuous learning and a diverse skill set. With over three decades of experience in management and leadership, Hari has proven expertise in training, consulting, and coaching within the technology sector. His extensive 16+ years in all phases of software product development are complemented by a decade-long focus on course design, training, coaching, and consulting in Project Management. In the dynamic field of Data Science, Hari stands out with more than three years of hands-on experience in software development, training course development, training, and mentoring professionals. His areas of specialization include Data Science, AI, Computer Vision, NLP, complex machine learning algorithms, statistical modeling, pattern identification, and extraction of valuable insights. Hari's professional journey showcases his diverse experience in planning and executing multiple types of projects. He excels in driving stakeholders to identify and resolve business problems, consistently delivering excellent results. Beyond the professional sphere, Hari finds solace in long meditation, often seeking secluded places or immersing himself in the embrace of nature.

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